रायपुर. राजधानी रायपुर में १२,००० से अधिक एक्टिव कोरोना मरीज है। सरकारी कोविड१९ हॉस्पिटल में बेड कम पड़ रहे हैं। दूसरी तरफ निजी अस्पताल खुद को पूरी तरह से पैक दर्शा रहे हैं। जरुरतमंद मरीज अस्पतालों में फोन घुमा रहे हैं, परिजन चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें बेड न होने का हवाला देकर लौटा दिया जा रहा है। एक-एक बेड के लिए मारामारी और संघर्ष जारी है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीते दिनों सरकारी और निजी अस्पतालों में बेड को लेकर पारदर्शिता रहे, ऑन-लाइन पोर्टल बनाने के निर्देश दिए थे। पड़ताल में सामने आया कि १३ निजी अस्पतालों में लक्षण वाले मरीजों के लिए ७२२ बेड आरक्षित किए गए हैं, मगर इनमें से सिर्फ ८ बेड ही खाली हैं। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से कहा जा रहा है कि नाम दर्ज करवा दें, बेड खाली होने पर संपर्क किया जाएगा। ऐसे में सवाल यह है कि क्या वास्तव में इतने मरीज निजी अस्पतालों में भर्ती हैं? विभाग की तरफ से कहा गया है, हां हैं। क्योंकि सरकारी अस्पतालों में लक्षण वाले मरीजों के लिए बेड कम हैं।
दूसरे शहरों के मरीज भी आ रहे रायपुर
'पत्रिका' ने निजी अस्पतालों के प्रबंधकों से बात की। उन्होंने बताया कि रायपुर के अलावा भिलाई, दुर्ग, बिलासपुर, बलौदाबाजार और अन्य जिलों से भी मरीज रायपुर आकर भर्ती होना चाहते हैं। हो रहे हैं। अब मरीज को लौटाया नहीं जा सकता।
सुनिए मरीजों की आप बीती-
केस१-
नाम- राकेश, पुरानी बस्ती रायपुर- ४३ वर्षीय राकेश को ३ दिनों से सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उन्हें लगा कि वे कोरोना संक्रमित हैं, तो ८ सितंबर को खोखोपारा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवाने पहुंचें तो यहां रैपिड किट खत्म हो चुकी थी। शाम को कालीबाड़ी कोरोना जांच केंद्र में सैंपल दिया। ले-देकर राजेंद्र नगर स्थित अस्पताल में रैपिड टेस्ट हुआ, रिपोर्ट निगेटिव आई। सीटी स्कैन में पता चला कि निमोनिया है। डॉक्टर ने कहा भर्ती हो जाओ, मगर हमारे यहां बेड नहीं है। उन्हें १० सितंबर को दिनभर के संघर्ष के बाद बेड नहीं मिला। ११ सितंबर को देवपुरी के एक अस्पताल में बेड मिला।
केस२-
नाम- पदुम (परिवर्तित नाम), सुंदर नगर- ३८ वर्षीय पदुम को अचानक बुखार और खांसी शुरू हुई। उन्होंने कोरोना एंटीजन टेस्ट करवाया तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से फोन आया कि आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव है, आप घर में रहें। आपको अस्पताल में शिफ्ट किया जाएगा। इस दौरान उन्होंने कई निजी अस्पतालों में संपर्क किया तो कहीं बेड की उपलब्धता नहीं होना बताया गया। पॉजिटिव आने की स्थिति में घर पर रहना उन्होंने उचित नहीं समझा। काफी मश्क्कत के बाद पचपेड़ी नाका स्थिति एक अस्पताल में बेड मिला। जिसके बाद इलाज शुरू हुआ।
रायपुर में सरकार से अनुबंधित निजी अस्पतालों में बेड की उपलब्धता
अस्पताल- कुल बेड- खाली
एनएच-एमएमआई- ७२- ००
ओम अस्पताल- ४५- ०६
बालको हॉस्पिटल- ३०- ००
भाटिया हॉस्पिटल- ४३- ००
मेडिशाइन हॉस्पिटल- ९०- ००
रामकृष्ण केयर हॉस्पिटल- ८३- ००
लाइफ वर्थ हॉस्पिटल- २१- ०१
वीकेयर हॉस्पिटल- ३२- ००
वीआई हॉस्पिटल- ५५- ००
श्रीनारायणा हॉस्पिटल- १००- ००
श्रीबालाजी हॉस्टिपटल- ४०- ००
संकल्प हॉस्पिटल- ४८- ०१
सुयश हॉस्पिटल- ६३- ००
रिम्स दूर है इसलिए कोई भर्ती नहीं होना चाहता-
रायपुर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस (रिम्स) मंदिर हसौद रोड में भानसोज के पास स्थित है। यहां कोरोना मरीजों के लिए ६५० बेड की व्यवस्था की गई है, मगर दूर की वजह से यहां कोई जाना नहीं चाहता। इसलिए यहां ६४७ बेड खाली हैं। गौरतलब है यह वही मेडिकल कॉलेज है, जिसे स्वास्थ्य विभाग ने आंबेडकर अस्पताल से पहले कोविड१९ हॉस्पिटल बनाने के लिए तैयारी शुरू कर दी थी। आनन-फानन में प्रस्ताव र² किया गया।
सभी अस्पताल वेबपोर्टल में मरीजों की ऑन-लाइन एंट्री कर रहे हैं। बिल्कुल, बेड भरे हुए हैं क्योंकि अभी मरीज की संख्या काफी अधिक है। स्थिति चिंताजनक है।
डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग