छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार के कृषि सुधार बिल को काला कानून बताया है। उन्होंने कहा कि इससे सारी व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। कांट्रेक्ट फार्मिंग से किसान अपने ही खेत में मजदूर हो जाएंगे। उपभोक्ताओं को भी सामान महंगा मिलेगा, वहीं राज्यों को भी मंडी शुल्क नहीं मिलने से करोड़ों रुपयों का नुकसान होगा। मुख्यमंत्री गुरुवार को मीडिया से बात कर रहे थे।
बिल के विरोध में नागपुर में होने वाली कॉन्फ्रेंस में रवाना होने से पहले एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा, बिना राज्यों को विश्वास में लिए केंद्र इस कानून को लेकर आई है। आखिर इस कानून के लिए किससे सलाह ली गई। उन्होंने कहा, पहले नोटबंदी लागू किया, जिससे बैंक बंद हुए। जीएसटी लागू किया, बहुत से उद्योग बंद हो गए। अब इस कानून से कितना नुकसान होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।
कृषि बिल में तीन सबसे बड़ी खामियां
मुख्यमंत्री ने कहा, एआईसीसी के निर्देश पर कृषि विधेयक के विरोध में अपना पक्ष रखने का जिम्मा मिला है। मंडी बिल संशोधन के संबंध में बात रखनी है। इस बिल में तीन सबसे बड़ी कमियां हैं।
विवाद सुलझाने में समय लगेगा : अब मंडियों में अनाज खरीदने के लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होगी। पैन कार्ड के आधार पर खरीदी की जा सकती है। मंडी में खरीदी के दौरान विवाद होने पर अथॉरिटी के सामने बात होती थी, लेकिन अब विवाद होने पर सुलझाने में लंबा समय लगेगा।
राज्यों को नुकसान होगा : अब तक मंडी शुल्क राज्यों को मिलता था। इन रुपयों से राज्य में निर्माण कार्य होते थे, लेकिन अब सभी राज्यों को सैकड़ों करोड़ का नुकसान होगा। कांट्रेक्ट फार्मिंग करने पर समर्थन मूल्य से नीचे नहीं खरीदने का नियम डालना था। अब किसान अपने खेत पर ही मजदूर हो जाएगा।
कालाबाजारी से महंगाई बढ़ेगी : अब कितनी भी मात्रा में अनाज रखने की छूट मिल गई है। पहले जमाखोरों के खिलाफ कार्रवाई की जाती थी. लेकिन अब मुनाफाखोर अनाज के मूल्य का नियंत्रण करते हुए कृत्रिम अभाव पैदा करेंगे। जिससे दाम बढ़ेगा।
पुनिया ने कहा- संघ भी बिल के विरोध में
वहीं रायपुर में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कृषि मंत्री रविंद्र चौबे कहा, छत्तीसगढ़ की धान खरीदी को लेकर केंद्र सरकार प्रभावित करना चाहती है। इससे किसान आर्थिक गुलामी की दिशा में जाएंगे। इस वर्ष 1.50 करोड़ मीट्रिक टन धान का उत्पादन होगा। वहीं प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया ने कहा कि देशभर के किसान इस कानून का विरोध कर रहे हैं। आरएसएस का किसान और स्वदेशी संघ भी विरोध में है।