रायपुर. केंद्र सरकार (Central Government) के पास लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों (Migrant Laborers) के रिवर्स माइग्रेशन और मौतों की जानकारी नहीं है। संसद में मानसून सत्र के पहले दिन आई जानकारी के बाद राजनीति गर्म है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से इसके लिए माफी मांगने की मांग की है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा, केंद्र सरकार का यह बयान स्वीकार्य नहीं है कि लॉकडाउन के दौरान घर लौटते गऱीब मज़दूरों की मौतों का कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस ग़ैर ज़िम्मेदाराना रवैये के लिए देश से माफ़ी मांगनी चाहिए।
शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा, जिस समय मज़दूर पैदल घर लौटने को मजबूर हुए उस समय देश में आपदा प्रबंधन क़ानून लागू था और केंद्र सरकार हर फ़ैसले ख़ुद ले रही थी। करोड़ों लोगों का रोजग़ार छिन गया और आज सरकार कह रही है कि उसके पास कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री को माफ़ी तो इस बात के लिए भी मांगनी चाहिए कि उन्होंने देश को कोरोना की भयंकर आपदा में ढकेल दिया। अगर प्रधानमंत्री ने बिना सोच विचार किए लॉकडाउन न किया होता और समय रहते एयरपोर्ट को सील कर दिया होता तो आज देश कोरोना की ऐसी भयावह मार न झेल रहा होता।
सवाल के लिखित जवाब से उठा विवाद
लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में सोमवार को केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार की ओर से बताया गया, अपने घर लौटने के दौरान प्रवासी मजदूरों की मौत का कोई रेकॉर्ड सरकार ने रखा ही नहीं है। उन्होंने प्रवासियों के वापस लौटने का जो आंकड़ा दिया, उसमें छत्तीसगढ़ का आंकड़ा शामिल नहीं था। केंद्रीय मंत्री की ओर से कहा गया, रेलवे ने प्रवासी मजदूरों के लिए 4 हजार 611 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई। इससे 63 लाख 7 हजार प्रवासी अपने घरों को वापस लौटे। केंद्रीय मंत्री का कहना था, यात्रा के दौरान प्रवासियों को भोजन और पानी नि:शुल्क उपलब्ध कराया गया था।