भोपाल। महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने मध्यप्रदेश के कोविड मरीजों को मिलने वाली ऑक्सीजन बंद कर दी। इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि मध्यप्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं होने दी जाएगी। होशंगाबाद जिले के बाबई में अब प्लांट लगाया जाएगा।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को घोषणा की है कि प्रदेश में जो प्लांट 50-60% क्षमता पर चल रहे थे, उनको पूर्ण क्षमता के साथ चलाने का आग्रह किया है। होशंगाबाद जिले के बाबई के मोहासा में आइनॉक्स कम्पनी के प्लांट को स्वीकृत किया है, जो 6 महीने में 200 टन ऑक्सीजन बनाना प्रारंभ कर देंगे। चौहान ने एक बार फिर जोर देकर कहा है कि ऑक्सीजन की कमी नहीं रहेगी। हरसंभव व्यवस्था करेंगे
चौहान ने ट्वीट में कहा कि मध्यप्रदेश में हम 30 सितंबर तक 150 टन ऑक्सीजन की व्यवस्था कर लेंगे। महाराष्ट्र से मध्यप्रदेश को केवल 20 टन ऑक्सीजन मिलती थी, जो आइनॉक्स कंपनी करती थी। अब वही कंपनी मध्यप्रदेश को इस 20 टन ऑक्सीजन की सप्लाई गुजरात और उत्तर प्रदेश से करेगी।
ऑक्सीजन का संकट
चौहान ने कहा कि मैंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से ऑक्सीजन की सप्लाई नहीं रोकने का आग्रह किया है। कोविड 19 के कारण वहां भी संकट है, फिर भी उन्होंने आश्वस्त किया है कि वे हरसंभव प्रयास करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑक्सीजन की कमी का विषय महत्वपूर्ण था, इसलिए मैंने व्यवस्थाओं की समीक्षा की। हमारे यहां प्रारंभ में ऑक्सीजन की उपलब्धता केवल 50 टन थी, जिसे बढ़ाकर 120 टन कर दिया गया है।
गौरतलब है कि कोरोना वायरस से पीड़ित माइल पेशेंट को छोड़कर माडरेट और सीरियस पेशेंट को आक्सीजन की जरूरत होती है। एक कोरोना मरीज को प्रति मिनिट 4 से 6 लीटर आक्सीजन दी जाती है। ऐसे में आक्सीजन की सप्लाई के बगैर उपचार की कल्पना ही अधूरी है।
छत्तीसगढ़ और गुजरात से भी मांगी मदद: इससे पहले, चौहान ने कहा कि उन्होंने आक्सीजन की कमी को देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था पर भी जोर दिया था। खबरों के मुताबिक शिवराज सरकार ने छत्तीसगढ़ के भिलाई स्टील प्लांट और गुजरात सरकार से भी से मदद मांगी है। हालांकि यह सरकारें भी मध्यप्रदेश की मदद करेगी या नहीं यह बयान अब तक नहीं आया है।
130 टन ऑक्सीजन की जरूरत: गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में इस समय कोरोना के 20 प्रतिशत मरीजों को इसकी जरूरत पड़ रही है। जुलाई में प्रदेश को जहां 40 टन और अगस्त में 90 टन ऑक्सीजन की रोजाना जरूरत थी, वहीं अब यह बढ़कर 130 टन हो गई है। वर्तमान में मध्यप्रदेश ज्यादातर आक्सीजन महाराष्ट्र से मंगाता है, लेकिन महाराष्ट्र ने ऑक्सीजन देने से मना कर दिया है।
यह है मामला : दरअसल, महाराष्ट्र की शिवसेना की सरकार ने ऑक्सीजन की सप्लाई दूसरे राज्यं को देने से मना कर दिया है। महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव डा. प्रदीप व्यास ने आदेश जारी कर कहा है कि ऑक्सीजन की सप्लाई केवल महाराष्ट्र में हो होगी। इसके बाद से मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि प्रदेश में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाली आईनॉक्स कंपनी के प्लांट महाराष्ट्र में ही लगे हैं।
उद्धव सरकार पर भड़के विश्वास सारंग: महाराष्ट्र की उद्धव सरकार की ओर से मध्यप्रदेश को ऑक्सीजन सप्लाई रोकने के बाद मध्यप्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग भड़क गए हैं। उन्होंने कहा है कि संघीय ढांचे में ऐसा नहीं चलता है। संघीय ढांचे में राज्यों को परस्पर एक-दूसरे का सहयोग करना होता है। यदि राज्य ऐसा व्यवहार करेंगे तो काम कैसे चलेगा। कोरोना में ऑक्सीजन सबसे अहम होती है। सारंग ने कहा कि मुख्यमंत्री चौहान खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से इस विषय में चर्चा कर रहे हैं।
हाईकोर्ट जाने से पीछे नहीं हटेंगे: प्रदेश के गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सभी पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। यदि आवश्यक हुआ तो हाईकोर्ट जाने से भी सरकार पीछे नहीं हटेगी।
नहीं तो कोर्ट जाएगी सरकार : मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्चुअल कैबिनेट बैठक में कहा था कि महाराष्ट्र से ऑक्सीजन नहीं मिलने पर वहां की सरकार से बात की जाएगी। यदि मदद नहीं मिली तो कोर्ट का भी विकल्प खुला हुआ है।