जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे द्वारा अपने इस्तीफे की घोषणा किए जाने के 18 दिन बाद योशिहिदे सुगा को इस पद के लिए चुन लिया गया है। अबे ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अगस्त के अंत में इस्तीफा देने की घोषणा की थी। अबे अल्सरेटिव कोलाइटिस बीमारी से पीडि़त हैं। 71 वर्षीय सुगा को अबे का करीबी माना जाता है। इस लिहाज से ये भी माना जा रहा है कि वो उनकी नीतियों और प्रयासों को आगे बढ़ाएंगे। इसकी एक बड़ी वजह ये भी है क्योंकि उन्होंने अबेनॉमिक्स को ही आगे बढ़ाने की बात कही थी। अबेनॉमिक्स का अर्थ उन आर्थिक नीतियों से है जिसको शिंजो अबे ने बनाया था। अबे ने ये नीतियां मौद्रिक रूप से सहज माहौल, राजकोषीय प्रोत्साहन और संरचनात्मक सुधारों के आधार पर बनाई थीं। इससे पहले उन्हें पार्टी का नेता चुना गया था और उन्हें लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी पार्टी के सांसदों और क्षेत्रीय प्रतिनिधियों के 534 में से 377 वोट हासिल हुए थे। गौरतलब है कि जापान में सितंबर 2021 में चुनाव होने हैं।
कॉलेज के बाद शुरू हुई राजनीति
आपको बता दें कि शिंजो अबे जापान के इतिहास में सबसे लंबे समय तक पीएम रहने वाले पहले नेता हैं। इसके अलावा वो देश के पहले ऐसे पीएम थे जिनका जन्म दूसरे विश्व युद्ध के बाद हुआ था। सुगा ने अपने राजनीतिक सफर की लंबी पारी में कई अहम दायित्वों को सफलतापूर्वक निभाया है। सुगा का ताल्लुक एक किसान परिवार से है। उन्होंने इस लंबे राजनीतिक जीवन में कई मुश्किलों का चुनौतीपूर्ण मुकाबला किया है। जापान की राजनीति में उनका काफी दबदबा रहा है। उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत टोक्यो के होसेई यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद हुई थी। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद सुगा संसदीय चुनाव अभियान में जुट गए थे। इसके बाद वो लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी से आधिकारिक रूप से जुड़े और सचिव बने।
यूं चढ़ीं सफलता की सीढि़यां
वर्ष 1987 में सुगा योकोहामा सिटी काउंसिल के लिए चुने गए और 1996 में उन्हें पहली बार जापान की संसद के लिए चुने गया। वर्ष 2005 में वो केंद्रीय केबिनेट में शामिल हुए और तत्कालीन प्रधानमंत्री जुनिचिरो कोइजुमी ने उन्हें आंतरिक मामलों और संचार विभाग का वरिष्ठ उप मंत्री बनाया। शिंजो अबे ने भी उनके अनुभव और उनकी कामयाबी को देखते हुए तीन पद सौंपे और केबिनेट में वरिष्ठ मंत्री का दर्जा दिया। उन्होंने इस जिम्मेदारी को वर्ष 2007 तक बखूबी निभाया। वर्ष 2012 में जब शिंजो दोबारा देश के पीएम बने तो उन्होंने सुगा को मुख्य केबिनेट सचिव बनाया। जापान की राजनीति में सुगा को अबे का दाहिना हाथ माना जाता रहा है। सरकार के कदमों की जानकारी देने के लिए भी सुगा ही पत्रकारों के सामने आते थे।
रिवा युग की घोषणा
सुगा केवल शिंजो के ही करीबी नहीं रहे हैं बल्कि वहां के रॉयल परिवार के भी करीबी रहे हैं। वर्ष 2019 में जापान के सम्राट अकिहितो के हटने के बाद जब नरुहितो को नया सम्राट नियुक्त किया गया तो सुगा ने ही इस युग को रिवा का नाम दिया और इसकी घोषणा की थी। जापानी भाषा में रिवा का अर्थ होता है सुंदर सदभाव। इसके बाद से उन्हें प्यार से लोग रिवा अंकल बुलाने लगे थे। शिंजो के इस्तीफा देने की घोषणा के बाद से ही सुगा का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे आगे चल रहा था। 2 सितंबर को सुगा ने औपचारिक रूप से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा की थी। 14 सितंबर को उन्हें पार्टी का नेता चुना गया था। वे पहले ऐसा नेता हैं, जो किसी पार्टी के गुट से नहीं आते और न ही उन्हें राजनीति विरासत में मिली है।
सुगा की चुनौतियां और उनका मकसद
सुगा चाहते हैं कि संविधान में संशोधन करके सेल्फ डिफेंस फोर्स को वैधता प्रदान की जा सके। शिंजो का भी ये एक एजेंडा रहा था। हालांकि वो कोविड-19 महामारी की वजह से इसको अमल में नहीं ला सके। सुगा ऐसे समय में पीएम बन रहे हैं जब पूरी दुनिया इस महामारी की चपेट में है और इससे निकलने का प्रयास कर रही है। इसलिए उनके लिए पहली चुनौती इस महामारी से होने वाले आर्थिक नुकसान की भरपाई की भी होगी। वो चाहते हैं कि देश में कोविड-19 की रोकथाम के लिए जांच को बढ़ाया जाए। इसके अलावा उनका मकसद जुलाई 2020 तक इसकी वैक्सीन को हासिल करना भी है। वे न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी, कृषि सुधारों को बढ़ावा देने और पर्यटन को बढ़ावा देकर क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करना चाहते हैं। विदेश नीति के मोर्चे पर वो एक इंडो-पैसेफिक चाहते हैं और साथ ही लंबे समय से रहे दोस्त अमेरिका के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। उनका मकसद 1970 और 1980 के दशक में उत्तर कोरिया द्वारा जापानी नागरिकों के अपहरण के मामले को सुलझाने का भी है। वह बिना शर्त उत्तर कोरिया के प्रमुख किम जोंग उन से बिना शर्त बात करने को भी इच्छुक हैं।