काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने संवैधानिक परिषद अधिनियम (कार्य, कर्तव्य और प्रक्रिया), 2010 में संशोधन के लिए अध्यादेश पेश किया है। इसके मुताबिक कोरम पूरा नहीं होने पर भी परिषद की बैठक बुलाई जा सकती है।
प्रधानमंत्री ओली ने अध्यादेश को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी के पास भेजा था, जिन्होंने एक घंटे के भीतर ही इसे मंजूरी दे दी। अध्यादेश को मंजूरी मिलने के बाद ओली को परिषद की बैठक बुलाने और तीन सदस्यों की उपस्थिति में भी फैसले लेने का अधिकार मिल गया है।
संवैधानिक परिषद के अध्यक्ष प्रधानमंत्री हैं। इसमें चीफ जस्टिस, प्रतिनिधि सभा के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर, नेशनल असेंबली के चेयरमैन और मुख्य विपक्षी दल के नेता सदस्य के रूप में इसमें शामिल होते हैं। परिषद संवैधानिक संस्थाओं, न्यायपालिका और विदेशी मिशनों जैसे अहम जगहों में प्रमुख पदों पर नियुक्ति की सिफारिश करती है।
अध्यादेश से पहले परिषद की बैठक में अनिवार्य रूप से पांच सदस्यों की उपस्थिति में ही कोई फैसला किया जा सकता था। छह सदस्यीय संवैधानिक परिषद में डिप्टी स्पीकर का चुनाव नहीं होने की वजह से एक पद खाली है